Wednesday, May 29, 2019

वर्ल्ड कपः 1983 में 11 रन पर 6 विकेट गँवाने के बाद भी क्रिकेट वर्ल्ड कप जीता था भारत

जब 25 जून, 1983 को लॉर्ड्स के मैदान के बीचोबीच कपिलदेव निखंज और मदनलाल के बीच मंत्रणा हुई, तो उसका असर न सिर्फ़ विश्व कप के फ़ाइनल के परिणाम पर पड़ा, बल्कि उसने हमेशा के लिए भारतीय क्रिकेट की सूरत बदल दी.

विव रिचर्ड्स ताबड़तोड़ चौके लगाते हुए आनन फ़ानन में 33 के स्कोर पर पहुंच गए. वो मदनलाल की गेंदों पर तीन चौके लगा चुके थे.

इसलिए कपिलदेव किसी और को ओवर देने के बारे में सोच रहे थे. तभी मदन लाल ने उनसे एक ओवर और करने देने के लिए कहा.

मदनलाल याद करते हैं, "ये बात सही है कि मैंने कपिल देव से गेंद ली थी. जो लोग कहते हैं कि मैंने गेंद छीनी थी, ग़लत है. मुझे तीन ओवर में 20-21 रन पड़ गए थे."

"मैंने कपिल से कहा कि मुझे एक ओवर और करने दें. मैंने सोचा कि मैं रिचर्ड्स को एक 'शॉर्ट' गेंद करूँगा. मैंने पहली गेंद से कुछ तेज़ गेंद की जिसने पिच को तेज़ी से 'हिट' किया."

"उन्होंने गेंद को हुक करते समय 'मिसटाइम' किया. कपिल देव ने 20-25 गज़ पीछे भाग कर बिलकुल अपनी उँगलियों के टिप पर उस गेंद को कैच किया."

25 जून 1983 को शनिवार था. लॉर्ड्स के मैदान पर बादल छाए हुए थे. जैसे ही क्लाइव लॉयड और कपिल देव मैदान पर टॉस करने आए, सूरज ने बादल को पीछे ढकेला और दर्शकों ने ख़ुशी से तालियाँ बजाईं.

भारतीय क्रिकेट के इतिहास पर हाल ही में छपी किताब 'द नाइन वेव्स- द एक्सट्राऑरडिनरी स्टोरी ऑफ़ इंडियन क्रिकेट' लिखने वाले मिहिर बोस याद करते हैं, "जब हम लॉर्ड्स के अंदर जा रहे थे तो 'बुकीज़' भारत को 50 टू 1 और 100 टू 1 का 'ऑड' दे रहे थे."

"दो भारतीय भी हाथ में एक बैनर लिए हुए थे जिसमें भारत को 'फ़ेवरेट' बताया जा रहा था मज़ाक में. लॉर्ड्स के अंदर वेस्ट इंडीज़ के बहुत से समर्थक थे. भारत के समर्थक इतने नहीं थे."

"वो पहले से ही ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला रहे थे कि वो तीसरी बार विश्व कप जीतेंगे. प्रेस बॉक्स में भी इक्का-दुक्का भारतीय पत्रकार थे. मैं तो 'संडे टाइम्स' के लिए काम कर रहा था."

"अंग्रेज़ और ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार कह रहे थे कि ये ख़राब फ़ाइनल होने जा रहा है. इंग्लैंड या ऑस्ट्रेलिया फ़ाइनल में होते तो कुछ मुक़ाबला भी होता."

"जब भारतीय खेलने उतरे तो उन्होंने बहुत अच्छी बैटिंग नहीं की. जब वेस्ट इंडीज़ ने बैटिंग शुरू की तो संदीप पाटिल ने गावस्कर से मराठी में कहा कि अच्छा है कि मैच ज़ल्दी ख़त्म हो जाएगा और हम लोगों को 'ऑक्सफ़र्ड स्ट्रीट' में 'शॉपिंग' करने का वक्त मिल जाएगा. जब वेस्ट इंडीज़ की बैटिंग शुरू हुई तो मुझे अंग्रेज़ और ऑस्ट्रेलियाई पत्रकारों की बातें सुनकर इतना बुरा लगा कि मैंने प्रेस बॉक्स छोड़ दिया और लॉर्ड्स के मैदान में ये सोच कर घूमने लगा कि मेरा मन थोड़ा अच्छा हो जाएगा."

उस दिन कपिल टॉस हारे और उन्होंने लॉयड से पहले बैटिंग करने के लिए कहा. एंडी राबर्ट्स ने 'बिग बर्ड' जॉएल गार्नर के साथ गेंदबाज़ी की शुरुआत की.

रॉबर्ट्स ने भारत को पहला झटका दिया जब दो के स्कोर पर दूजों ने गावस्कर को कैच कर लिया. गावस्कर की जगह आए मोहिंदर अमरनाथ ने एक छोर संभाल लिया.

दूसरे छोर पर श्रीकांत तूफ़ानी मूड में थे. उन्होंने पहले गार्नर को 4 रनों के लिए 'स्लैश' किया, फिर रॉबर्ट्स की गेंद को 'मिड-विकेट' पर 'बाउंड्री' के बाहर मारा और थोड़ी देर बाद उन्हें 6 रन के लिए 'हुक' कर दिया.

मैंने श्रीकांत से पूछा कि जब आप बैटिंग करने गए थे तो क्या सोच कर गए थे? श्रीकांत का जवाब था, "मेरी सोच यही थी कि वहाँ जा कर अपना स्वाभाविक खेल खेलो. अगर मार सकते हो तो मारो वर्ना बाहर आओ."

श्रीकांत बैटिंग करते हुए काफ़ी 'रिस्क' ले रहे थे और उधर लॉर्ड्स की मशहूर बालकनी पर बैठे हुए भारतीय खिलाड़ियों का दिल मुँह की तरफ़ आ रहा था.

लॉयड ने मार्शल को लगाया और आते ही उन्होंने श्रीकांत को पवेलियन भेजा, लेकिन उनके बनाए गए 38 रन दोनों टीमों का सर्वाधिक स्कोर था.

मोहिंदर और यशपाल शर्मा ने बहुत धीमे-धीमे 31 रन जोड़े. लेकिन वेस्ट इंडीज़ के गेंदबाज़ एक 'कंप्यूटराइज़्ड रॉकेट' की तरह बार-बार आक्रमण करते रहे.

रॉबर्ट्स जाते तो मार्शल आ जाते. मार्शल जाते तो होल्डिंग गेंदबाज़ी संभाल लेते. यशपाल और मोहिंदर दोनों जल्दी जल्दी आउट हुए.

भारत के 6 विकेट मात्र 11 रनों पर गिर गए. लॉर्ड्स में मैच देख रहे भारतीय मूल के दर्शकों के बीच सन्नाटा छाया हुआ था.

उधर, भारत में क्रिकेट प्रेमी झल्ला कर अपने रेडियो और टीवी सेट बंद कर रहे थे. लेकिन भारत के आख़िरी चार विकटों ने करो या मरो का भावना को चरितार्थ करते हुए 72 रन जोड़े.

11 नंबर पर खेलने आए बलविंदर संधु ने बहुत बहादुरी का परिचय दिया. मार्शल ने उन्हें विचलित करने के लिए एक बाउंसर फेंका जो उनके हेलमेट से टकराया.

सैयद किरमानी याद करते हैं, "जब बलविंदर और मेरी साझेदारी शुरू हुई तो मार्शल ने जो पहली गेंद उसे की, वो बाउंसर थी. वो गेंद सीधे उनके हेलमेट पर लगी थी."

"उस ज़माने में मार्शल दुनिया के सबसे तेज़ गेंदबाज़ थे. वो गेंद जैसे ही बल्लू (बलविंदर) के हेलमेट में लगी उन्हें दिन में तारे नज़र आ गए."

"मैं उनकी तरफ़ भागा ये पूछने के लिए कि तुम ठीक तो हो. मैंने देखा कि बल्लू हेलमेट को अपने हाथ से रगड़ रहे थे. मैंने पूछा तुम हेलमेट को क्यों रगड़ रहे हो. क्या उसे चोट लगी है?"

सैयद किरमानी आगे बताते हैं, "उसी समय अंपायर डिकी बर्ड ने मार्शल को 'टेल-एंडर' पर बाउंसर फेंकने के लिए बहुत ज़ोर से झाड़ा. उन्होंने मार्शल से ये भी कहा कि तुम बल्लू से माफ़ी मांगो."

"मार्शल उनके पास आकर बोले, 'मैन आई डिड नॉट मीन टू हर्ट यू. आई एम सॉरी.' (मेरा मतलब तुम्हें घायल करने का नहीं था. मुझे माफ़ कर दो) बल्लू बोले, 'मैल्कम डू यू थिंक दैट माई ब्रेन इज़ इन माई हेड. नो इट इज़ इन माई नी.' (मैल्कम क्या तुम समझते हो कि मेरा दिमाग मेरे सिर में है? नहीं, ये मेरे घुटने में है.) मैल्कम ये सुन कर हंस पड़े."